चकिया, चंदौली। स्थानीय विकास खंड अंतर्गत मुजफ्फरपुर गांव निवासी 73 वर्षीय विधवा सुखा पिछले 20 वर्षों से एपीएल कार्ड लेकर राशन के लिए दर-दर भटक रही है। उसने राशन वितरण प्रणाली की दुकान से लेकर ग्राम प्रधान व आपूर्ति कार्यालय तक का चक्कर लगाया, पर समस्या का समाधान नहीं हो सका। अंत में थक हारकर बुजुर्ग महिला ने शुक्रवार को मीडिया को पूरी बात बताते हुए राशन कार्ड की छाया प्रति, बैंक पासबुक, आधार कार्ड देकर भगवान भरोसे छोड़ अपने घर वापस लौट गई।
बुजुर्ग विधवा महिला ने बताया कि राशन की दुकान से मिलने वाला राशन ही उसके जीने का सहारा था। जब से खाद्यान्न मिलना बंद हुआ है, तब से बमुश्किल जीवन कट रही है। किसी ने खाना दिया तो खाया, अन्यथा भूखे पेट सो गई। बताया कि लगभग 10 वर्ष पहले उनके पति फूलचंद का निधन हो गया है। तब से अब तक वह भी अपनी मौत का इंतजार कर रही है। रही सही कसर सिस्टम की बेरुखी ने निकाल दी है। अंत्योदय योजना से अगर खाद्यान्न मिलता, तो कुछ दिन और जिंदा रहती, पर अब लगता है जीना मुश्किल है।
उन्होंने आरोप लगाया कि पदाधिकारियों की लापरवाही के चलते ही उसे अनाज नहीं मिल रहा है। उसके एक पुत्र हैं, जो अलग रहते हैं। वहीं एक लड़की है जिसकी शादी हो चुकी है। कहा कि जब भी दुकान पर राशन लेने जाती हूं, तो कहा जाता है कि आपका राशन कार्ड बंद हो गया है, हम कहां से राशन देंगे। जब मीडिया ने गांव के कोटेदार से फोन पर संपर्क किया तो बताया गया कि उनका राशन कार्ड एपीएल है, जोकि एपीएल कार्ड कई वर्ष पहले ही बंद हो चुका है। कार्ड न होने पर भी महिला को कभी कदार राशन दिया जाता है।
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चकिया एसडीएम ने कहा कि महिला को अनाज मिलना किस परिस्थिति में बंद हो गया है, यह जांच का विषय है। जांच कराकर राशन कार्ड को चालू करने का निर्देश आपूर्ति निरीक्षक को दिया जाएगा।