चकिया, चंदौली। स्थानीय विकास खंड के दर्जनों ग्राम पंचायतों में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के अंतर्गत चल रहे विकास कार्यों में भारी भ्रष्टाचार का मामला प्रकाश में आया है। आरोप है कि कुछ ग्राम प्रधान जो क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों के करीबी बताए जा रहे हैं, मनरेगा योजनाओं में खुलकर भ्रष्टाचार मचा रहें हैं।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार रामपुर कला 456, राम लक्ष्मणपुर 305, अमरा 151, भष्करपुर 110, डवरी कला 132, ददरा 119, गोगहरा 203, जमुआ 223, कुदरा 185, नसरथा में 115 श्रमिकों की उपस्थिति फर्जी तरीके से केवल कागजों में दर्ज कर कार्य दिखाया जा रहा है, जबकि वास्तविकता में जमीन पर कोई कार्य नहीं हुआ है। आरोप है कि ग्राम प्रधान अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर रहा है, और मनरेगा के नाम पर फर्जी दस्तावेज तैयार कर सरकारी धन की हेराफेरी कर रहे हैं।
कुछ लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इन ग्राम प्रधानों की प्रशासनिक और राजनीतिक पकड़ इतनी मजबूत है कि वह अधिकारियों से संरक्षण प्राप्त कर विकास कार्यों की फर्जी फाइलें तैयार कर लाखों रुपये का सरकारी धन हड़प लेते हैं। लोगों का कहना है कि वे चाहकर भी विरोध नहीं कर पाते, क्योंकि उनका उच्चस्तरीय समर्थन प्राप्त है।
स्थानीय ग्रामीणों ने भी आरोप लगाए हैं कि पंचायत स्तर पर कोई वास्तविक काम नहीं हो रहा है, जबकि रिकॉर्ड में सब कुछ पूर्ण दिखाया गया है। इससे ग्रामीणों को रोजगार से भी वंचित होना पड़ रहा है। यह मामला न सिर्फ शासन-प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि किस प्रकार योजनाओं को जमीनी स्तर पर लूट का माध्यम बना लिया गया है।
अब देखना यह है कि प्रशासन इस गंभीर भ्रष्टाचार के मामले में क्या कार्रवाई करता है। क्या जांच बैठती है? क्या दोषियों के विरुद्ध कोई ठोस कदम उठाया जाता है? या यह मामला भी बाकी अनियमितताओं की तरह फाइलों में ही दबकर रह जाएगा।